Joint Family Tips फिर ना टूटेगा परिवार – प्रदीप कोठारी
संयुक्त परिवार संस्कृति पर सदी का कोई असर होता है या नहीं, यह तो कहना कठिन है, पर वर्तमान सदी में परिवारों के टूटने की जो परम्परा चल रही है, यह चिन्तन का विषय है। इस टूटन में सदी को कारण मानने से पहले मुख्य कारणों पर गौर करना जरूरी है। हम समग्र दृष्टि देखते हैं तो अनेक कारण दृष्टिगोचर होते हैं। उन पर कई गोष्टिया – संगोष्ठिया आयोजित की जाती है, पर परिवारों का टूटना निरन्तर जारी है या ऐसे कहें कि इन वर्षों में फिल्मी जगत, इन्टरनेट, मोबाईल, पाश्चात्य संस्कृति के कारण अधिक तेजी से परिवारों का टूटना बढ़ा है। समाज में अगर व्यक्ति परिवारों को टूटने से बचाना चाहता है तो इन कुछ बिन्दुओं पर ध्यान रखकर अपने परिवार के साथ रहे तो फिर कभी ना टूटेगा और किसी का परिवार। Joint Family Tips
नेतृत्व की कमी
आज परिवारों में नेतृत्व करने वाले नजर नहीं आते। जो बड़े होते हैं वे केवल अपने अहं का पोषण करते है। नेतृत्व के जो गुण होने चाहिए वे उनमें दृष्टिगोचर नहीं होते। जो नेतृत्वकर्ता होता है, लीडर होता है, वह जिस कार्य के योग्य होता है उनको ही वह कार्य सौंपता है। सबको साथ लेकर चलता है। सबमें एक दूसरे के प्रति सम्मान के भाव, सौहार्द के भाव विकसित करता है। वर्तमान में इन गुणों को धारण करने वालों की कमी के कारण ही परिवार के सदस्यों में कामकाज को लेकर, असम्मानजनक शब्दावली को लेकर झगड़े बढ़ रहे हैं और संयुक्त परिवार की धारणा विखण्डित हो रही है।
ना तेरा, ना मेरा
व्यक्ति जब तक तेरा मेरा करता रहेगा तब तक आपसी संबन्धों में कड़वाहट आती रहेगी। अगर यह कहें कि ना तेरा और ना मेरा है, यह हम सबका है। यह चिन्तन बदलते ही परिवर्तन की बयार चल पड़ेगी।

जितना लेना, उतना देना
व्यक्ति चाहता है मैं सिर्फ लेता रहूँ। जब देने की बारी आती है तो पीछे हो जाता है। विचार यह रहना चाहिए कि मैं जितना लूँ मौका आने पर उससे ज्यादा देने की भावना मेरे भीतर रहे।
स्वयं का ही नहीं, सबका चिन्तन
यह करना, वह करना, यह लाना, वह लाना न जाने कितने प्रकार से व्यक्ति अपने स्वयं के बारे चिन्तन करता रहता है व्यक्ति दूसरों के बारे में सोचना भी छोड़ देता है क्योंकि उसे सिर्फ अपनी जरूरतों का ही ख्याल रहता है। व्यक्ति अगर अपनी इस सोच को सबके लिए विस्तृत कर दे, घर – परिवार के सदस्यों की जरूरतों को समझने लग जाए तो टूटन की समस्या का समाधान हो जाएगा।
ये ऐसे बिन्दु है जिन पर ध्यान दिया जाए तो संयुक्त परिवार की परम्परा सुरक्षित रह सकती है और परिवार में स्वस्थ एवं सौहार्द पूर्ण वातावरण निर्मित हो सकता है।

Joint Family Tips by Pradeep Kothari