Riya Agrawal की रिश्तों को परिभाषित करती कविता
फरीदाबाद, हरियाणा की कवित्री Riya Agrawal की कविताओं में जीवन का अनुभव बोलता है. रिया जी बचपन से ही लिखने में रूचि लेती है. गृहस्थी को सजाते संवारते जो भाव मन में उमड़ते हैं उनको शब्दों में पिरोना Riya Agrawal के लिया सहज साधना हो चुकी है. सब कोई सोचते हैं कि कविताएँ लिखना बहुत मुस्किल है, पर भावों को शब्दों में बांदने की साधना करने वालों के लिए यह बहुत सरल काम होता है.
रिया अग्रवाल कविताओं के साथ गीत, ग़ज़ल, लेख इत्यादि भी लिखती है. अनेको लेख विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं. रिया जी लेखन के साथ समाज सेवा से भी जुडी हुई है. महिलाओं के मुद्दों पर काम करने वाली समाजसेवी संस्थाओं के साथ काम करती है. देहज आदि विषयों पर कविताओं का लेखन कर भी जागरूकता फ़ैलाने में अपनी भूमिका निभाती है.
Tathastu TV के पाठकों के लिए ऐसी समाजसेवी और गृहणी कवित्री की कविता प्रस्तुत कर हर्ष का अनुभव कर रहे हैं. उम्मीद है आप सब इस कविता को पसंद करेंगे और अपने जीवन में कुछ सीख लेने का प्रयास करेंगे. रिया जी की प्रतिभा को जन जन तक पहुँचाने में अपना समय भी नियोजित करेंगे.
Riya Agrawal की कविता
टूटे रिश्ते..
गलत तुम भी ना थे, गलत हम भी ना थे..
कुछ गलतियां, कुछ गलतफहमियां, कुछ मुगालते वक्त ने की
बंध कर जिसके हाथों, हम कठपुतली हो गए..
रिश्तों की बेड़ियां, बेफिक्री ने तोड़ दी
जन्मों के साथी, अजनबी अब हो गए..
कदमों की दूरी, मीलों की तब बन गई
दर्दों से नावाकिफ, जब हम एक दूजे के हो गए..
मतलब की कश्ती में, बैठे जब से हम-तुम
नातों के धागे, हज़ार टुकड़े हो गए..
अपनों की तरक्की की, खबरें गैरों ने दी
ज़हनों में दूरियों के, आलम कुछ इस कदर हो गए..
ख़ामोशियों की गूंजें, रिश्तों में ऐसे गूंजी
खंडर से खोखले, अपने चबूतरे हो गए..
रिया अग्रवाल
फरीदाबाद हरियाणा