Wednesday, April 23, 2025
साहित्य - साधना

Nandu Rajasthani की कविता : फिर से तम छट जायेगा

आशावादी दृष्टिकोण के धनी नंदू राजस्थानी [ Nandu Rajasthani ] की कविताएँ संघर्षो से जूझ रहे व्यक्ति में जीत की उम्मीद पैदा करती है. विश्वास की ज्योत प्रज्वलित करती है. गांव लक्ष्मीपुरा, तहसील देवली, जिला टोंक राजस्थान के निवासी व्याख्याता नंदू राजस्थानी [ Nandu Rajasthani ] मूलतः राजस्थानी भाषा मे काव्यपाठ करना व लेखन द्वारा मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने को प्रयासरत है.
राजस्थानी के अलावा हिंदी में राष्ट्र प्रेम, सौंदर्य व श्रृंगार की रचनाओं द्वारा समाज की सूरत काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करने वाले Nandu Rajasthani की रचनाओं को तथास्तु टी वी के पाठको तक पहुँचाया जा रहा है. विश्वास है पाठक इनकी कविताओं से महामारी काल में जीने का नया विश्वास अर्जित करेंगे.
Nandu Rajasthani

पढ़िए Nandu Rajasthani की कविता 

“फिर से तम छट जायेगा”
आंधी तूफानों की सूरत पहले भी तो देखी है।
गगन गिरा तो कभी धरा पर बिजली गिरती देखी है।
कंकड़ पत्थर शूल चुभे है पहले भी तो पांवो में,
फिर भी हमनें पैदल चलकर राहें कटती देखी है।।
आज आसमां पर छाया ये
बादल कल हट जायेगा।
रोशन होगा आंगन अपना
फिर से तम छट जायेगा।।
बाती को हमनें पहले भी बुझकर जलते देखा है।
उजड़ी बगिया में हमनें फिर गुल को खिलते देखा है।
घना कोहरा छा जाता है सर्द भरी उन रातों में,
फिर भी सुबह सूरज को धरती से मिलते देखा है।।
थमा हुआ ये वक्त हमारा
पल भर में कट जायेगा।
रोशन होगा आंगन अपना
फिर से तम छट जायेगा।।
सागर की लहरें जाकर फिर लौट वहीं आ आती है।
बासंती रुत के आने पर कोयल फिर गा जाती है।
सहती है कुछ दिन तो धरती अंधी मार अमावस की,
लेकिन चंदा को लेकर फिर से पूनम आ जाती है।।
लगा धरा के दामन पर जो
दाग अभी मिट जायेगा।
रोशन होगा आंगन अपना
फिर से तम छट जायेगा।।
आशाओं के जरिये ही हमनें हर जंग को जीता है।
रखा हौंसला खुद में तो हर बुरा वक्त भी बीता है।
माना मंजिल को पाने की हर जिद में खुद को खोकर,
स्वाभिमानी चातक फिर बरखा की बूंदे पीता है।।
आया है जो हमें लूटने
खुद ही अब लुट जायेगा।
रोशन होगा आंगन अपना
फिर से तम छट जायेगा।।
अपनी मुठी भींचों तुम और अब खुद पर विश्वास करो।
अपने हिस्से में जो आये उतना तो प्रयास करो।
बाहर जब दरवाजे पर दुश्मन ने जो दस्तक दी है,
चौखट को ना लांघो तुम और कुछ दिन तो उपहास करो।
भीतर घर के रहना तुम
बाहर तो दम घुट जायेगा।
रोशन होगा आंगन अपना
फिर से तम छट जायेगा।।
“नन्दू राजस्थानी”
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