Mothers Day Special Story एक साथ मल्टीपल कार्य करती है माँ
Mothers Day Special Story : हम सब बचपन से देखते हैं कि माँ एक ऐसी शक्ति है जो एक साथ मल्टिपल कार्य कर लेती है. चाहे वो घर चलाना हो या बच्चों का पालन पोषण करना हो. जॉब या बिज़नेस करना हो या रिश्ते निभाना हो. जैसे कोई माँ दुर्गा की तरह अनेकों हाथ हमारी मोम के भी हो, ऐसा ही अहसास करते हुए हम बड़े हुए हैं. माँ के जितने रूप हम प्रस्तुत करे उतने कम है. शक्ति के सारे रूप और अवतार उनके अन्दर जैसे समाहित हो गए हैं.
वैदिक धर्म में जहाँ देवियों को संबोधन भी माँ के तौर पर ही किया जाता है तो जैन धर्म में तीर्थंकर भगवान् महावीर ने अपने ज्ञान के बल पर माँ की तकलीफ जानकर जब तक माता विद्यमान रहेगी तब तक दीक्षा न लेने का संकल्प कर लिया. यह माँ के प्रति बहुत बड़ा सम्मान और महत्त्व दर्शाता है. इस्लाम में जन्नत ही माँ के कदमों तले बताया है.
सिख धर्म में गुरुओं को जन्म देने वाली माँ होती है इसलिए माँ को सबसे सर्वश्रेष्ठ बताया है. इसाई धर्म के ग्रंथ बाइबिल में माँ को अपने आप में फ़रिश्ता बताया है. हर धर्म माँ को महत्त्व देता है इसलिए भारत की संस्कृति में माँ के प्रति पैदा होते ही अपनत्व और सम्मान के भाव विकसित होते हैं.
तथास्तु टीवी के पाठको को Mothers Day Special Story में हम माँ की आशाओं पर खरा उतरने के लिए बच्चे को कोनसी बातों का ध्यान रखना चाहिए और बच्चों की सुपर मोम बनने के लिए एक माँ को क्या करना चाहिए, इन सब पर चर्चा करेंगे.
बेटे-बेटियों का हो यह दायित्व
हम सब जानते हैं कि जन्म देने वाली माँ हमारे लिए कितना कुछ झेलती है और क्या कुछ करती है. यह जानते हुए भी और देखते हुए भी हम माँ को वो सम्मान नहीं देते हैं. ना ही माँ की इच्छाओं का ध्यान रखते हैं. उनको हम सफल होने के बाद दोष ही देते रहते हैं. उस महिला की वजह से जो खुद माँ बनने दहलीज पर होती है. यह कह सकते हैं कि महिलाओं की यह सबसे बड़ी कमजोरी है. वो एक महिला होने के बाद भी दूसरी महिला का सम्मान नहीं कर पाती है और पुरुष से सम्मान पाने को आवाज़ उठाने को उतावली रहती है.
प्रत्येक माँ का प्रत्येक पुत्र हर माँ की क़द्र करना सीख जाये तो समाज की हर समस्या का समाधान हो जायेगा. आज के दिन Mothers Day को इस संकल्प के साथ बेटे- बेटियां मनाएँ कि हम अपनी माँ की हर इच्छा का सम्मान करेंगे और उसे पूरा करेंगे.
दूसरी बात जो हमको ध्यान रखने की जरुरत है वो है विभिन्न धर्मों में जिस माँ को गुरु और फ़रिश्ते का दर्जा दिया है उसको छोड़ हम घर से बहार धर्म के नाम पर अपना स्वार्थ पूरा करने वालों को गुरु के रूप में पूजते हैं और देवताओं के चक्कर लगाते हैं. उनके पीछे पैसों को पानी की तरह बहाते हैं. जब माँ के लिए किसी कार्य के लिए पैसे चाहिए होते हैं तब मुहं पर तंगी की कहानियां आ जाती है.
इस वर्ष के इस International Mothers Day पर यह चिंतन बनाये कि माँ पहली गुरु और भगवान् है. उसके बाद ही बहार के गुरुओं पर ध्यान दूंगा. मुझे लगता है जब हम माँ को इस नजरिये से जिस दिन से देखने लग जायेंगे उस दिन से हमको बाहर के गुरुओं और भगवानों की जरुरत महसूस नहीं होगी.
माँ को रखना होगा इन बातों का ध्यान
माँ का दायित्व बहुत बड़ा है. बच्चे गलतियाँ कर सकते हैं पर माँ नहीं. क्योंकि माँ को भगवान् के रूप में देखा है. जीवन का सबसे बड़ा और पहला गुरु माना है. भगवान् और गुरु गलती करे तो शिष्यों को, पुत्रों को दोष दे नहीं सकते. गुरु माता गुरु पिता वाली बात आप लोगों ने सुनी होगी. इसका मतलब है माँ का जितना दायित्व बालक बालिकाओं में संस्कार भरने का है उतना ही गुरु का है. अगर कोई माँ या गुरु यह दायित्व नहीं निभाते हैं तो वो शिष्यों और पुत्रों द्वारा की जाने वाली गलती के लिए सबसे पहले दोषी हैं.
बचपन से मिट्टी के लोंदे की तरह आपके चरणों में रहने वाले उस बच्चे में अच्छे इन्सान बनने गुण आप भर नहीं सके तो आपको गुरु और माँ का दर्जा नहीं दिया जा सकता. दोष आप बच्चे को देते हो पर आप अपने दायित्व से च्युत हुए हो तब यह दर्जा आपको कैसे मिल सकता है. इसलिए Mothers Day Special Story में आपको इस दायित्व को जागरूकता से निभाने की और ध्यान आकर्षित किया जा रहा है.
गुरु और माँ अपने पुत्र को अच्छा इन्सान बनाने के दायित्व को पूरी तरह निभा देती है. इसके लिए टाइम मेनेजमेंट कर लेती है तो देश, समाज और परिवार की सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा. माओं को उनका सम्मान मिल जायेगा. स्त्री को कभी किसी के द्वारा बुरी नज़र से नहीं देखा जायेगा. बेटी द्वारा घर से बहार प्यार की कमी को पूरा करने का प्रयास नहीं होगा. ना ही किसी माँ या गुरु द्वारा यह सुनने को मिलेगा की मेरा बेटा या शिष्य कपूत निकला. क्योंकि उसका निर्माण आपके ही द्वारा किया हुआ होगा.
सारांश
आपको यह लगता है की शिष्य/ पुत्र सपूत नहीं हैं तो आप ही ने दोष पूर्ण कार्य किया है, आपने अपने कर्तव्य को नहीं निभाया है. इसलिए स्वयं को आज से जागरूक करे.
Mothers Day Special Story by जितेन्द्र कोठारी