Leadership Tips by Jitendra Kothari
व्यक्तित्व विकास का एक अंश नेतृत्व क्षमता का विकास भी है । नेतृत्व की चाह सभी में होती है । यह प्रबंधन का एक मुख्य तत्त्व है । नेतृत्व स्वीकार कौन करेगा और कौन नहीं , यह आशंका आमतौर पर हर किसी में रहती है । सफल नेतृत्व के लिए किन बातों की आवश्यकता रहती है , यह जानना भी हर किसी के लिए जरूरी है । Leadership Tips
निज पर शासन फिर अनुशासन : Leadership Tips
गुरुदेवश्री तुलसी ने ‘ निज पर शासन फिर अनुशासन ‘ — उद्घोष दिया था । सफल नेतृत्व का यह एक सरलतम मंत्र है । जो व्यक्ति दूसरों पर अनुशासन करना चाहता है , उसे पहले स्वयं अपने पर शासन करना आना चाहिए । ऐसा व्यक्ति कभी भी सफल नहीं हो सकता जो उच्छृखल या अनियंत्रित जीवन जीता है । वह दूसरों को अपने वश में रखना चाहता है , पर ऐसा कभी संभव नहीं हो सकता । सफल नेतृत्व की सबसे बड़ी कसौटी यही है कि व्यक्ति स्वयं को अनुशासन के सांचे में कितना ढालता है ? स्वयं का स्वयं पर अनुशासन एक प्रकार से दूसरों के लिए वशीकरण – मंत्र भी कहा जा सकता है।
प्रतीक्षा करना सीखें : Leadership Tips
देखा गया है कि व्यक्ति में धैर्य की बड़ी कमी होती है । वह उस क्षण की प्रतीक्षा करना ही नहीं चाहता जिस क्षण में सफलता का रहस्य छिपा होता है । सफलता के लिए आवश्यक है — धीरज की मनोवृत्ति का विकास । टॉलस्टाय से एक बार पूछा गया कि प्रतीक्षा कब तक करनी चाहिए ? उन्होंने उत्तर दिया – ‘ जब तक छलनी में पानी बर्फ न बन जाए । ‘ व्यक्ति में यदि इतना धैर्य होता है तब ही वह दूसरों पर अनुशासन कर सकता है । अधीरता व्यक्ति को कुशल और दक्ष नहीं बना सकती ।
जैसा कहें वैसा करें : Leadership Tips
कुशल नेतृत्व का एक अन्य लक्षण है कि वह जैसा कहता है वैसा ही करके दिखाता है । जब स्वयं की कथनी और करनी में समानता होती है , तभी वह दूसरों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ सकता है । कहें कुछ और करें कुछ — यह छवि दूसरों को कभी भी प्रभावित नहीं कर सकती । ऐसा व्यक्ति यदि किसी को कोई कार्य करने का कहता है तो दूसरा उसे उपेक्षित नहीं कर सकता है । कार्य की उपेक्षा तभी होती है जब नेतृत्व करने वाला कहता कुछ है और करता कुछ है ।
दूरदर्शिता : Leadership Tips

कुशल नेतृत्व की एक महत्त्वपूर्ण पहचान है दूरदर्शिता । जब कोई निर्णय लिया जाता है , उससे पहले चिंतन की अपेक्षा रहती है । चिंतनपूर्वक लिया गया निर्णय सफलता की संभावना को पुष्ट करता है । व्यक्ति के अपने अंतः ‘ विजन ‘ से ही दूरदर्शिता परिलक्षित होती है । जिस व्यक्ति के पास ‘ विजन ‘ होता है , रचनात्मकता होती है , उसके प्रति दूसरों का ध्यान आकृष्ट होना कोई आश्चर्यजनक नहीं है ।
अच्छा श्रोता : Leadership Tips
कुशल नेतृत्व देने के लिए कहने की अपेक्षा श्रोता बनने की आवश्यकता भी होती है । औरों की बात सुनने का अर्थ है , स्वयं को पथ प्रदर्शक के रूप में प्रस्तुत करना । जो दूसरों को सुनना नहीं चाहते , केवल अपनी बात ही रखने का प्रयत्न करते हैं , वे कभी दूसरों को अपने विश्वास में नहीं ले सकते । इसलिए नेतृत्व की क्षमता के लिए श्रोता होना भी जरूरी है।
व्यवहार की मधुरता : Leadership Tips
दो व्यक्तियों को परस्पर जोड़ने का सेतु व्यवहार की मधुरता है । सुमधुर और सदाशयी व्यवहार टूटे हुए दिलों को जोड़ देता है । इसी तरह दूसरे प्रकार का व्यवहार दिलों में दरार भी डाल देता है । आकर्षक व्यवहार ही व्यक्ति को आकर्षक बनाता है । जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी दूसरों का हमराही बना रहता है , समस्याओं के समाधान खोजता रहता है और आग्रहमुक्त होकर सत्य को पाने का प्रयत्न करता है — वही व्यक्ति कुशल नेतृत्व दे सकता है ।
नया करने का संकल्प : Leadership Tips

वही व्यक्ति कुशल नेतृत्व दे सकता है , जिसमें कुछ नया करने का माद्दा होता है । यद्यपि सब पुराना बुरा ही होता है और सारा नया ही अच्छा होता है — ऐसा नहीं कहा सकता है । पुराना भी अच्छा होता है और नया भी बुरा हो सकता है। पर , अच्छा नेतृत्व वही व्यक्ति दे सकता है जिसमें अच्छे – बुरे का विवेक होता है । अपने चिंतन के साथ कुछ नया जोड़कर प्रस्तुत करने की क्षमता का विकास कुशल नेतृत्व का अच्छा आधार बन सकता है । जिज्ञासाओं को निरंतर उत्पन्न करने का एक सशक्त माध्यम नयापन या नवाचार ही हो सकता है।
क्षमता के अनुसार कार्य – विभाजन : Leadership Tips
नेतृत्व करने वाले व्यक्ति में यह दक्षता होनी चाहिए कि वह किस व्यक्ति से कौन – सा कार्य संपादित करवाए । कार्य का विभाजन और संयोजन सदैव क्षमता के अनुसार ही होता है । कुशल नेतृत्वकर्ता के लिए जरूरी है कि उसे अपने सभी सहकर्मियों की क्षमताओं का पूरा ज्ञान हो । तभी कार्य – विभाजन का दायित्व कुशलतापूर्वक संभव हो सकता है । क्षमता तथा रुचि के अनुसार कार्य का विभाजन होता है तो उससे कार्य का सम्यक् निष्पादन भी हो जाता है । नेतृत्व करने वाले व्यक्ति की कुशलता इसी से प्रकट होती है ।
प्रोत्साहन : Leadership Tips

किसी कार्य को अगर कोई व्यक्ति रचनात्मकता पूर्वक संपन्न करता है तो उस व्यक्ति को प्रोत्साहित करना भी नहीं भूलना चाहिए । समय – समय पर प्रेरित – प्रोत्साहित करते रहना कुशल नेतृत्व का ही सबल अंग है । दूसरे लोग भी इससे अपने श्रम का नियोजन इस तरह से करेंगे कि वे भी सफलता हासिल कर सकें । व्यक्ति आगे भी और ज्यादा उत्साह से कार्य को संपादित करेगा — यह उचित प्रोत्साहन पर ही अवलंबित है । बिना भेदभाव के योग्य व्यक्ति को प्रोत्साहित करने से नेतृत्व पर कभी भी कोई प्रश्नचिह्न नहीं लग सकता ।
व्यक्तिगत संपर्क : Leadership Tips
कुशल नेतृत्वकर्ता का दायित्व है कि वह अपने सहकर्मियों के लिए व्यक्तिगत संपर्क को भी स्थान दे । व्यक्तिगत संपर्क से मधुर संबंधों की परंपरा कायम होती है । हर व्यक्ति की कुछ व्यक्तिगत समस्याएं होती हैं , उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर ही समाहित किया जा सकता है । ऐसा करना सफल नेतृत्व का सूचक है ।
जुझारूपन : Leadership Tips
कुशल नेतृत्व के लिए संघर्षों से मुकाबला करना भी अपेक्षित है । जो संघर्षों को चीर कर आगे बढ़ जाता है , वही जीवन में कुछ कर सकता है । विकास के लिए ऐसा करना जरूरी भी होता है । अग्नि में तप कर ही कुंदन में निखार आता है । उसी तरह से संघर्षों की भट्टी में तप कर व्यक्ति अपनी नेतृत्व – क्षमता को उजागर कर सकता है।
जितेन्द्र कोठारी [ Jitendra Kothari ] जी द्वारा बताये गए नेतृत्व [ Leader ] क्षमता के सूत्र केवल व्यपार ही नही हर क्षेत्र में ग्रहण करने योग्य है. धर्म, राजनीति, समाज , परिवार सब जगह कुशल नेतृत्व की कमी है. इस वजह से विसंगतियां पैदा हो रही है. इन सूत्रों से नेतृत्वकर्ता अपनी क्षमता को और ज्यादा बढ़ा सकेगा. अपने नेतृत्व से परिवार, समाज , संप्रदाय , देश, विदेश, व्यापार आदि जिस भी क्षेत्र में वो है वहाँ अपने प्रभाव को स्थापित कर पायेगा.